Wednesday, February 5, 2014

तब तक के लिए खुश -फहमियाँ कहिये मन करे तो गलतफहमियाँ

मुझ में -
जो मिटता है उसे मिट जाने दो
जो बुझता है उसे बुझ जाने दो 
सिकुड़ते हुए को सिमट जाने दो 
जो डरा हुआ है उसे छुप जाने दो 
ललचाये हुए को फिसल जाने दो 
जो उखड़ा हुआ है उसे उड जाने दो 
उबलते हुए को बिफ़र जाने दो 
जो टुटा हुआ है उसे बिखर जाने दो !

सुलगने से लेकर राख़ होने तक के बाद भी, अगर 
हमे तुम याद आये  
तो फ़िर मुझे कहना होगा 
कि वो जो हम में तुम में करार था 
वो मोहब्बत का ही हिसाब था 
तब तक के लिए इसे  खुश -फहमियाँ  कहिये 
मन करे तो गलतफहमियाँ !!
                                          - रचना 

Tuesday, January 7, 2014

जिंदगी है कि क़ुसूर है

कहीं शिद्दतों की नुमाइशें ,कहीं हौसलों का गुरुर है
मेरी शामतें भी करीब है, मेरे सर पे एक इक जूनून है 
मैंने रास्ते चुने नहीं ,मुझे मंजिलो की खबर नही 
मेरी रूह में इक पुकार है ,मुझे बस उसी का शुरूर है 
मेरी नेमते सब किधर गयी ,मै राह से भी उतर गयी 
मुझे शक़ है मेरी नस्ल में खुदा का असर जरुर है 
हर दो क़दम पे हादसो की रौनकों का हुजूम है 
कहीं चार दम की जिंदगी और बस जरा सा सुकून है 
यु ही यक -ब -यक की दिल्लगी सी राहतो से गुजर गये 
वरना क़सम से यू कहे कि जिंदगी है कि क़ुसूर है 
                                                                  - रचना