मुझ में -
जो मिटता है उसे मिट जाने दो
जो बुझता है उसे बुझ जाने दो
सिकुड़ते हुए को सिमट जाने दो
जो डरा हुआ है उसे छुप जाने दो
ललचाये हुए को फिसल जाने दो
जो उखड़ा हुआ है उसे उड जाने दो
उबलते हुए को बिफ़र जाने दो
जो टुटा हुआ है उसे बिखर जाने दो !
सुलगने से लेकर राख़ होने तक के बाद भी, अगर
हमे तुम याद आये
तो फ़िर मुझे कहना होगा
कि वो जो हम में तुम में करार था
वो मोहब्बत का ही हिसाब था
तब तक के लिए इसे खुश -फहमियाँ कहिये
मन करे तो गलतफहमियाँ !!
- रचना
- रचना
Rachna ki ek aur khubsurat Rachna
ReplyDeleteरचना जी बहुत अच्छी रचना है आपकी। एक गुजारिश है कि आप लिखना जारी रखें।
Delete