Monday, September 14, 2015

सही जगह

ऐसा कभी नहीं था कि जिंदगी हम से नरमी से पेश आयी हो , बल्कि वो तो खुद जितनी सख्त है उस से भी दस गुना सख्ती से पेश आयी , पर हमने भी पत्थर जैसी सख्त जिंदगी को अपने सर पे बरसने देने कि बजाए अपने कदमो के नीचे बिछाया और अपनी राहो को पक्का व मजबूत कर लिया !
यक़ीनन जिंदगी खुश है क्युकी इसी काम में आने के लिए ही तो सख्त थी  सख्त है 
 शुक्रिया जिंदगी !!!!!!

सर पे चढ़ने का मौका हमने सिर्फ और सिर्फ प्रेम को दिया , बस एक प्रेम ही है जो हमारे सर चढ़ के बोल सकता है

कहते सुना है लोगो को कि - कहाँ की मोहब्बत , कैसी मोहब्बत इस कठोर जिंदगी के आगे मोहब्बत कुचली ही जाती है।  हम हैरान परेशान  जाइये जनाब कैसी बाते करते है !
जरुर आप कठोर जिंदगी को सर पे बरसने दे रहे होंगे , सर पे बिठा के चल रहे होंगे  तब तो मोहब्बत पैरो के नीचे कुचली ही जायेगी। आपकी जिंदगी पे मोहब्बत नहीं बरस रही ये आपकी नियति नहीं चुनाव है।  जगह बदल के देखिये जरा !!!

बाकी पत्थर जैसी जिंदगी राहो में बिछी हो और मोहब्बत सर पे चढ़ के नाच रही हो तो जिंदगी ने मुझे सम्भाल रखा है और मोहब्बत ने मुझे सँवार रखा है !!!!

कांटो सी मोहब्बत

आह ! कांटे !...... उनके पास से गुजरो तो दामन को पकड कर ऐसेखींचते है कि जैसे बरसो से हमारे ही इंतज़ार में खड़े थे कि जैसे अब आये हो अब तो ना जाने देंगे बहुत हिसाब लेने है ... बहुत सवाल करने है.... उलझ जाते है दामन में और दामन को भी उलझा लेते है.. बिना उन से उलझे अंजानो सा बेखबर गुजर जाना संभव नहीं...., कांटे ...उफ्फ् कैसे रोक लेते है ...जाने नही देते ...इतनी शिद्दत ...., 
मोहब्बत हो जाती है मुझे इन कांटो से...... और कांटे जैसे इंसान से.....फूलो पे कभी प्यार नहीं आता उन में इतना खिचांव नहीं की मेरे चलते हुए कदमो को रोक ले....पर कांटे कितने जिद्दी है 
अल्लाह ! मोहब्बत हो तो कांटो जैसी वर्ना हो ही ना ....
जब कांटो को दामन से अलग करती हु तो मै खूब रोती हु..... और मजाल भी बस उन्ही की है कि मुझे रुला दे.....( कोई समझेगा क्या राज़ ए गुलशन .... जब तक उलझे ऩा कांटो से दामन )

Monday, September 7, 2015

अब पर्दा गिराते है


तहे ... परते और एक के बाद एक किरदार बदलता चरित्र.... बहुत खूब !!!  मैं नन्ही सी जान और इतने सारे किरदार निभाने है और हर किरदार की तहो में  उतर कर उसकी आत्मा को छू के आना .... आहा!!!  हमे गर्व है हम अभिनेत्री है  और ये जीवन हमे जो किरदार देता है हम अपनी पूर्ण दक्षता से उसे छूकर गुजरते है , हालाँकि किरदारों के मोहपाश में तब तक ही रहते है जब तक हम उस किरदार को जी रहे होते है! अदभुत मायाजाल !
कहानी खत्म , किरदार ख़त्म ,जेहन में बची रही उसकी खुशबु  आखिर  यही खुशबू पाना ही तो था उद्देश्य , हम अपनी आत्मा में महक लिए ढेरो किरदारों की जीते चले जा रहे है

पर्दा उठने वाला है ...हम तैयार है ..डूबने को... तैरने को...हँसने को... रोने को... ये वो वक़्त है जब हम में किरदार उतरेगा... और हम किरदार हो जाएँगे...

अबकी बार मुझे जुआ खेलना अच्छे से आना चाहिए , अंतिम दांव के अंतिम क्षण  के पहले वाले क्षण तक यही लगे कि मै  हार रही हूँ  और फिर.......
हालांकि मैं जीत गयी तो जीत के मैं बहुत उदास होऊंगी, क्योंकि मै जानती हूँ हार ही नियत हैं, नियति है, 
ये जानकार भी कि हार ही होगी, मै हर दांव खेलूंगी अंतिम हार तक!!!   जैसे सारी हार- जीत कायनात ने मेरे लिए ही रख छोड़ी हो !!
              
                        "" ये बड़ी प्रतिस्पर्धा है ""  

 गहरी भी है और दोहरी भी हैं जिस से है वो शक्ती भी देती है हथियार भी देती है और विरुद्ध खड़ी होके मात भी देती हैं, और हार को जानकर भी जो मैं खेल रही हूँ उसपे मुग्ध होते हुए अभिमान भी देती है....