तहे ... परते और एक के बाद एक किरदार बदलता चरित्र.... बहुत खूब !!! मैं नन्ही सी जान और इतने सारे किरदार निभाने है और हर किरदार की तहो में उतर कर उसकी आत्मा को छू के आना .... आहा!!! हमे गर्व है हम अभिनेत्री है और ये जीवन हमे जो किरदार देता है हम अपनी पूर्ण दक्षता से उसे छूकर गुजरते है , हालाँकि किरदारों के मोहपाश में तब तक ही रहते है जब तक हम उस किरदार को जी रहे होते है! अदभुत मायाजाल !
कहानी खत्म , किरदार ख़त्म ,जेहन में बची रही उसकी खुशबु आखिर यही खुशबू पाना ही तो था उद्देश्य , हम अपनी आत्मा में महक लिए ढेरो किरदारों की जीते चले जा रहे है
पर्दा उठने वाला है ...हम तैयार है ..डूबने को... तैरने को...हँसने को... रोने को... ये वो वक़्त है जब हम में किरदार उतरेगा... और हम किरदार हो जाएँगे...
अबकी बार मुझे जुआ खेलना अच्छे से आना चाहिए , अंतिम दांव के अंतिम क्षण के पहले वाले क्षण तक यही लगे कि मै हार रही हूँ और फिर.......
हालांकि मैं जीत गयी तो जीत के मैं बहुत उदास होऊंगी, क्योंकि मै जानती हूँ हार ही नियत हैं, नियति है,
ये जानकार भी कि हार ही होगी, मै हर दांव खेलूंगी अंतिम हार तक!!! जैसे सारी हार- जीत कायनात ने मेरे लिए ही रख छोड़ी हो !!
"" ये बड़ी प्रतिस्पर्धा है ""
गहरी भी है और दोहरी भी हैं जिस से है वो शक्ती भी देती है हथियार भी देती है और विरुद्ध खड़ी होके मात भी देती हैं, और हार को जानकर भी जो मैं खेल रही हूँ उसपे मुग्ध होते हुए अभिमान भी देती है....
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteMeena kumari complex .. :)
ReplyDelete