Tuesday, December 13, 2011

सन्नाटा सा है

मेरे शब्द मेरे दिल में कही जम गये है
ना अब वो हिलते है ना  कोई हलचल है उनमे
वो जिन्दा तो है पर मरे मरे से लगते है 
जैसे जम गयी हो उन पे ढेर सारी बरफ
           वो चाहते तो है .....
चीखते चिल्लाते इस मौन को तोड़ दे
पर वो बेजान है ,उनमे अब इतनी ताकत नहीं 
कभी -कभी कोशिश भी करते है कि
इस मौन से गुजर कर बाहर आये 
पर रास्ते में ही थक कर गिर पड़ते है 
                 कि
मेरे शब्द खुद टूट गये है 
मेरे मौन को तोड़ने कि कोशिश में ........... 



3 comments:

  1. Wah kya baat hai. Bahut khub kaha hai aapne.
    चीखते चिल्लाते इस मौन को तोड़ दे
    पर वो बेजान है ,उनमे अब इतनी ताकत नहीं
    कभी -कभी कोशिश भी करते है कि
    इस मौन से गुजर कर बाहर आये
    पर रास्ते में ही थक कर गिर पड़ते है
    कि
    मेरे शब्द खुद टूट गये है

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