या रब मेरे दिल के सब अरमां किधर गये
हम जिन्दा है फिर भी ये लगता है की मर गये
ये रास्ते तन्हा से , सुनसान से है अब
लोगो के अपने घर है सब अपने घर गये
कहा के ख्वाब, ख्वाहिशे अब कोनसी बाकी
जिन्दगी की धूप में सब के सब जल गये
यू जिन्दगी की तोहमते सहने का गम तो है
होता नही असर लगता है की मर गये !!!
- रचना
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