आँखों में जो उभरे है वो अल्फाज बयाँ कर तु
कैसे है कटी जिंदगानी कुछ हाल बयाँ कर तु
आँखों से टपक गये आंसू इतना क्यों हँसी हो तुम
कोई बात तो होगी ही वही बात बयाँ कर तु
हर राह ख्यालो की थम -थम के चली हो तुम
कुछ तो बदली होगी तेरी चाल बयाँ कर तु
आँखों और तब्सुम को रुक -रुक के निहारो तुम
आँखों में क्या रक्खा था ये राज बयाँ कर तु ...
- रचना
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Nice'ly Said..
ReplyDeletePlease keep it up
GoodLuck
Nice thought n presentaion Rachna..
ReplyDeleteyour comments are welcome on my poems also:
www.simplyneel.blogspot.com
waah waah
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