Saturday, March 31, 2012

कहाँ हम ख्वाब रखेंगे

कहाँ रखेंगे नजाकत कहाँ हम नाज रखेंगे 
मेरे घर  में नही आले,कहाँ हम ख्वाब रखेंगे
मेरे अंदर का मंजर है कहाँ है शोख,बंजर है
यहाँ सब शुष्क है प्याले तो कैसे प्यास रखेंगे 
कोई आँखों से दिल में झांक ले,होगा ये उसका हुनर 
हमारी जिद तो ऐसी है ,खुद को बे आवाज़ रखेंगे
चंद रौशनी के वास्ते खुद को जला देंगे 
मिट जायेंगे पर जीने का यही अंदाज़ रखेंगे  
मेरी बातो पे तुम जो जाओगे,अक्सर ही धोखा खाओगे 
हम दिल में दर्द और होठ पे मुस्कान रखेंगे  
                                                                     - रचना 

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